चीन का एक और पलटवार

गूगल
चीन के सरकारी मीडिया ने इंटरनेट कंपनी गूगल पर अमरीका की कठपुतली होने का आरोप लगाया है.




चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक़ गूगल अमरीकी सरकार और उसकी ख़ुफ़िया एजेंसियों का एक हथियार है, जिसके ज़रिए उन्हें सारी गोपनीय सूचनाएँ मिलती रहती हैं.



चीन सरकार ने गूगल पर ये आरोप भी लगाया है कि वो चीन की संस्कृति और उसके मूल्यों के बीच घुसपैठ की कोशिश कर रहा है.



गूगल पर ये प्रहार एक ऐसे समय हुआ है जबकि भारी सेंसरशिप से नाराज़ गूगल चीन से हटने की अपनी धमकी पर अमल करने या न करने के बारे में अंतिम फैसला करने वाला है.



इससे पहले चीन सरकार ने इंटरनेट कंपनी गूगल को चेतावनी दी थी कि उसे चीनी क़ानूनों और सेसंरशिप के मुतबिक़ चलना होगा. अन्यथा उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.



फ़ैसला



लेकिन गूगल ने जनवरी में ये ऐलान किया था कि अगर उस पर इतनी भारी सेंसरशिप लगाई गी तो उसे टीन मे अपना वेब पोर्टल बंद कर देना पड़ेगा.



अगले तीन हफ्तों में गूगल का इस बारे में फ़ैसला आने वाला है कि वो चीन से अपना कारोबार उठाएगी या नहीं लेकिन इसी बीच चीन सरकार ने गूगल के साथ अपना वाकयुद्ध तेज़ कर दिया है.



हालांकि गूगल के शेयर चीन के अपने सर्च एंजिन बाइदू से बहुत पीछे चल रहे हैं, लेकिन चीन में अन्य किसी भी देश की अपेक्षा अधिक लोग ऑनलाइन जाते हैं.



व्यावसायिक दुनिया के विश्लेषकों का ये कहना है कि चीन जैसे दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट बाज़ार से गूगल का बाहर हो जाना दुनिया भर में कंपनी की साख को बुरी तरह नुक़सान पहुंचा सकता है.



गूगल ने 2006 में चीन में अपना व्यवसाय फैलाया था. तब आलोचकों ने गूगल पर चीन सरकार से मिलीभगत का आरोप लगाया था. गूगल ने चीन में सेंसरशिप की बात स्वीकार की थी, लेकिन कहा था कि जनहित में उसे चीन में कुछ समझौते करने पड़े.



तमाम आलोचनाओं के बाद भी तीन वर्षों तक गूगल ने चीन में अपेक्षाकृत शांतिपूर्वक अपना धंधा फैलाया. लेकिन इस साल जनवरी में तब मामला बिगड़ गया जब गूगल को पता चला कि कुछ चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के गूगल खातों पर साइबर हमले किए गए हैं.
Tags:

About author

Curabitur at est vel odio aliquam fermentum in vel tortor. Aliquam eget laoreet metus. Quisque auctor dolor fermentum nisi imperdiet vel placerat purus convallis.