
हुसैन कतर में इस कलात्मक कार्य को मूर्तरूप देने के लिए काम कर रहे हैं। उनकी इस पेंटिंग में पांच मशहूर गाड़ियों फेरारी, बेंटले, जगुआर, फैंटम रॉयल्स रॉयस और बुगात्ती के बीच तीन आदमकद घोड़े को चित्रित किया गया है।
इन्हें लियोनादरे द विंची की 10 फीट ऊंची पेंटिंग फलाइंग मशीन और अब्बास इब्न फिरनास की मूर्ति के साथ प्रदर्शित किया जाएगा। इस प्रदर्शनी में हुसैन की इस 10 फीट लंबी और 40 फीट चौड़ी पेंटिंग को प्रदर्शित की जाएगी। इन रचनाओं को एक विशेष संग्रहालय में रखा जाएगा। इन्हें अमीरात के शासक शेख हमाद बिन खलीफा अल थानी की बीवी और कतर की पहली महिला का संरक्षण हासिल है। गौरतलब है कि हुसैन अपने इस अद्भुत प्रोजेक्ट पर तीन से भी अधिक वर्षो से काम कर रहे हैं। उनकी इस पेंटिंग में आदमकद घोड़े को मुरानो कांच से बनाया गया है, जो इटली में बनाया गया है और उसके बाद इसे कतर लाया गया।
इसमें हर घोड़े का वजन कम से कम दो टन है। इस म्यूजियम की थीम, फॉर्म फॉलोज फंक्शन है। इसे मानवीय शक्ति बनाम मशीन की परिकल्पना को समर्पित किया गया है। गौरतलब है कि 95 वर्षीय हुसैन ने दोहा में पिछले साल पहले इस्लामिक म्यूजियम के उद्घाटन के अवसर पर म्यूजियम को 15 पेंटिंग भेंट दी थीं।
अब वह कतर में इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए अपनी 99 पेंटिंज्स का सहयोग देंगे। हुसैन को कतर में इस प्रोजेक्ट के लिए सम्मान के तौर पर एक बंगला दिया गया है। अहमदाबाद में आर्चर समूह के संस्थापक अध्यक्ष अनिल रेलिया ने बताया कि हुसैन ने भारत छोड़ने के तुरंत बाद कतर की पहली महिला से मुलाकात की।
रेलिया ने कहा कि हुसैन ने प्राचीन इस्लामिक संस्कृति पर पेंटिंग की एक सीरीज बनाई थी। इसका प्रदर्शन दोहा में होना था, लेकिन कुछ वजहों से इसे रद्द कर दिया गया। पर हुसैन की इन पेंटिंग को कतर की फस्र्ट लेडी ने देखा था और वह उनकी कला की मुरीद हो गईं। इसके बाद ही एमएफ हुसैन और कतर के शाही परिवार के बीच आपसी संबंधों की शुरुआत हुई।